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रांची/डेस्क: अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और पहाड़ों से घिरे कालेश्वरी धाम झारखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार है. चैत्र नवरात्र और रामनवमी के मौके पर झारखंड और बिहार के साथ-साथ बंगाल, उड़ीसा सहित अन्य प्रदेशों के भक्त जनों का तांता यहां लगा रहता है. दुर्गा सप्तशती कथा में भी मां कालेश्वरी का भी वर्णन मिलता है जिससे श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा कालेश्वरी धाम के प्रति है.
दरअसल, झारखंड के चतरा जिला से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कालेश्वरी धाम. वैसे तो यह तीन धर्म का संगम स्थल हैं. सनातन धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्मवालंबियों के भी आस्था का केंद्र है. धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार, कुल की रक्षा करने वाले मां कालेश्वरी का वर्णन दुर्गा सप्तशती कथा में भी मिलता है.
यहां भक्तों की सभी कामनाओं को पूर्ण करती है मां
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकालेश्वरी का मंदिर एक ऐसा शक्तिपीठ है जहां मां भक्तों की सभी कामनाओं को पूर्ण करते हैं. बिहार की सीमा से सटा होने के कारण हजारों भक्त प्रतिदिन मां के दरबार में पूजा अर्चना करते हैं. चैत्र नवरात्र और रामनवमी के मौके पर प्रतिदिन लाखों भक्त मां के दरबार में पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं. मां कालेश्वरी धाम का दरबार प्राकृतिक सौंदर्य से भी पटा हुआ है. तकरीबन 1680 फीट की ऊंचाई पर स्थित मां के दरबार में पर्वतों की एक लंबी श्रृंखला है जो भक्तों और पर्यटकों का मन मोह लेता है. कुलेश्वरी धाम में एक विशाल तालाब भी है जो कभी सूखता नहीं है. इस तालाब का जल भी काफी स्वादिष्ट है. भक्तजन इसी तालाब में स्नान करके मां के दरबार में पूजा अर्चना करते हैं.
इस धाम में है तीन धर्म की आस्था
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में पांडवों का अज्ञातवास भी यही हुआ था जिसका अवशेष आज भी देखने को मिलता है. बताया जाता है कि अभिमन्यु का विवाह भी इसी कुलेश्वरी पहाड़ पर हुआ था. इसके अलावा गदाधारी भीम के गदा से निर्मित जल कुंड भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहता है. इसके अलावा इस धाम में जैन मंदिर एवं भगवान बुद्ध का मंदिर भी जैन और बौद्ध धर्म के धर्मवालंबियों का प्रमुख केंद्र है.
कालेश्वरी धाम में भक्तों की अपार श्रद्धा रामनवमी के मौके पर उमड़ती हैं. जिला प्रशासन के द्वारा कालेश्वर धाम में विशेष व्यवस्था भी की जाती हैं. मां कालेश्वरी धाम को पर्यटक और धार्मिक स्थल के रूप में और अत्यधिक विकसित करने की आवश्यकता है ताकि तीन धर्म के संगमस्थली के रूप में विख्यात इस पवित्र धाम का अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल सके. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा मजिस्ट्रेट पुलिस चिकित्सा की व्यवस्था की गई हैं.